Home दांपत्य जीवन: जब "हम" की जगह ले ले "मैं"

दांपत्य जीवन: जब "हम" की जगह ले ले "मैं"

Posted by khaskhabar.com
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जब दाम्पत्य जीवन में "हम" की जगह "मैं" ले लेता है तो रिश्ते की नैया डगमगाने लगती है और क्लेश होना रोज की बात हो जाती है। लेकिन यदि पति-पत्नी दोनों ही थोडी सी सूझ-बूझ और धैर्य से काम लें तो उनका रिश्ता एक खूबसूरत मोड लेकर दूसरों के लिए आदर्श बन सकता है।
बच्चों की जिम्मेदारी : पहले मम्मियों के घर में रहने के कारण बच्चों को बाहर घुमाने-फिराने की जिम्मेदारी पापा की होती थी। अब पापा-मम्मी साथ घूम रहे हों तो भी बच्चो मां के बजाय पापा की गोद में नजर आते हैं। इतना ही नहीं, बच्चों की नैपी चेंज करने से ले कर बोतल से दूध पिलाने में भी पुरूष खूब रूचि ले रहे हैं। उनका मानना है कि मां बनने की तरह बाप बनना भी चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरा होता है। लगभग कई महिलाएं भी मानती हैं कि उनके पतियों को बच्चों को नाश्ता कराना, मुंह धुलवाना, नहाना-धुलाना और उनके साथ समय बिताना भी अच्छा लगता है।
शॉपिंग: इस बार शॉपिंग के लिए अकेले मत निकलें। अपने पति को भी साथ ले कर जाइए। आपको पता नहीं है कि आमतौर पर कंजूस समझे जाने वाले पुरूषों को शॉपिंग बेहद पसंद होती है। आज के पुरूषों का मानना है कि शापिंग के बहाने वे अपने परिवार के साथ समय भी बिता पाते हैं और दोनों ही पसंद से शॉपिंग भी अच्छी हो जाती है। और शॉपिंग का एक्सपिरिएंस हो जाने पर वे अकेले भी आपकी पसंद की शॉपिंग कर सकते हैं। पुरूषों को खुद से ज्यादा परिवारवालों के लिए शॉपिंग करना पसंद है।
पैकिं ग: ऎसा माना जाता रहा है कि महिलाएं टूर पर जाते समय आवश्यकता से अधिक पैकिंग कर लेती हैं। कहीं घूमने बाहर जाने का प्लान बना रही है तो सूटकेस पैक करने का काम हसबैंड को सौपें। लगभग 60 प्रतिशत पुरूष इस बात को सही मानते हैं। वहीं 100 में से 40 महिलाएं भी स्वीकारती हैं कि अक्सर शहर से बाहर जाते समय आवश्यकता से अधिक पैकिंग हो जाती है। इसका कारण यह है कि महिलाओं को दिनचर्या की हर वस्तु आवश्यक प्रतीत होती हैं। इसके विपरीत पुरूष केवल चुनिंदा और उपयोगी सामानों को ही गठरी में बांधने के आदी होते हैं। खुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें कई बातों को लेकर महिलाएं और पुरूष दोनों अपने आपको बेस्ट समझते हैं। अगर समझदारी से काम न लें, तो आने वाले समय में इस बात को ले कर आपस में तू-तू,मैं-मैं हो सकती है। इस रिश्ते में एक-दूसरे पर विश्वास करना बहुत जरूरी होता है। हमेशा खुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें, सामने वाले को भी अपनी बात और काबिलियत रखने का मौका दें। होम मिनिस्टर नहीं बनें होम मैनेजर महिलाओं का मानना है कि पुरूष थोडे पैसे में घर नहीं चला सकते। हाउसवाइफ पैसे के प्रबंधन में खुद को बेहतर मानती हैं। इन्हें लगता है कि होम मिनिस्टर का खिताब इन्हें विरासत में मिला है। वहीं पुरूष भी पैसा खर्च करने के उनके तरीके को ज्यादा सही नही ठहराते हैं। मतलब साफ है कि खुद को बेहतर गृह प्रबंधक मानने के चक्कर में आपकी पतिदेव से ठनती रहेगी। आप घर की वो धुरी हैं जिसके चारों ओर पूरे परिवार का भविष्य घूमता है इसलिए खुद को अच्छा होम मैनेजर बनाएं न कि होम मिनिस्टर। ड्राइविंग: केवल पैसों को खर्च करने में ही नही गाडी ड्राइव करने को लेकर भी आपके और उनके बीच खींचतान हो सकती है। मेट्रो शहरों में हुए एक सर्वे में पाया गया कि 100 में से 51 पुरूष अपनी पत्नियों को कार डा्रइव करने नहीं देते। वहीं 100 में से 52 युवतियां खुद को बेहतर ड्राइवर मानती हैं। वे कार न सही स्कूटी को बाएं हाथ का खेल समझती हैं जबकि हसबैंड उन्हें लापरवाह दुपहिया वाहन चालक मानते हैं। इस स्थिति में दोनों के बीच टकराव होना लाजमी है। अपनी पत्नी क ी काबिलियत पर विश्वास करें और उन्हें खुद से कम न समझें।